वर्धा
विश्व शांति स्तूप
निचिदात्सु फुजी, जो कि निप्पोंजन म्योहोजी बौद्ध मंदिर के मुख्य संस्थापक और मार्गदर्शक थे, 1933 में गांधी जी से मिले और उनके प्रशंसक बन गए। फुजी के स्पष्ट विचारों और शांति के प्रति अटल समर्पण से गांधी जी ने प्रभावित होकर उन्हें फुजी गुरूजी की उपाधी दी थी। 1983 में, फुजी गुरूजी ने वर्धा जाकर गीताई मंदिर के पास एक विश्व शांति स्तूप निर्मित करने का इरादा किया था। इस स्तूप की नींव 1989 में रखी गयी थी और 1993 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था।
विश्व शांति स्तूप एक बड़ा और सफेद रंग का शांति पगोडा है। बुद्ध की मूर्तियाँ स्तूप पर चार दिशाओं में स्थापित हैं। इसमें एक छोटा जापानी बौद्ध मंदिर और एक बड़ा पार्क भी है। यह दुनिया भर में बनाए गए लगभग अस्सी शांति पगोड़ों में से एक है।
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