वर्धा
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय या महात्मा गांधी इंटरनेशनल हिंदी यूनिवर्सिटी की स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए की गई थी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना इस लक्ष्य से की गयी थी कि हिंदी न केवल देश की राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय भाषा भी होनी चाहिए जिसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त हो।
यह केंद्रीय विश्वविद्यालय भारतीय संसद के एक अधिनियम के अंतर्गत बनाई गयी है, जिसे 8 जनवरी, 1997 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति मिली थी। 1997 से यह विश्वविद्यालय हिंदी के लिए समर्पित और एक आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में कार्यरत है।
महात्मा गांधी, हिंदी और अंतरराष्ट्रीय, ये तीन शब्द हैं जो संस्थान का मार्गदर्शन करते है और विद्यालय के दृष्टिकोण में बने हुए है । इसी नीव पर गांधीजी की सामाजिक-राजनीतिक कार्यों जैसे अहिंसा, शांति और संघर्ष समाधान, महिला अध्ययन और दलित अध्ययन जैसे क्षेत्रों में शैक्षिक कार्यक्रम भी इस विश्वविद्यालय में छात्रों को प्राप्त है।
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