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एक दूसरा घर, एक नई शुरुआत: हमारा सपना

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हमारा उद्देश्य अभावग्रस्त महिलाओं के लिए सतत मार्ग बनाना है जिससे वे सामाजिक एवं आर्थिक प्रतिबंधों से मुक्ति प्राप्त कर सकें।

एक बदलाव की शुरुआत

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एक उत्साही दृष्टि से प्रेरित, श्रीमती मिनल बजाज ने मुंबई की बस्तियों में रह रही महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने का लक्ष्य रखा था।पारिवारिक प्रोत्साहन एवं समर्थन द्वारा इस दृष्टिकोण को जमनालाल बजाज सेवा ट्रस्ट के अंतर्गत फरवरी २०१२ में 'हमारा सपना' के रूप में पहचान प्राप्त हुई। यह पहल मानवाधिकार से वंचित महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के विचार से शुरू की गई है।

प्रगति के कार्य, एक बार में एक

सामाजिक उत्तरदायित्व में सहायक

सामाजिक उत्तरदायित्व में सहायक

``हमारा सपना’’ गांधीवादी दर्शन और उसके उद्देश्यों के साथ समाजिक मुद्दों का समर्थन करता है। इसमें स्वच्छ भारत अभियान, वनों को बढ़ावा देना, साइबर अपराध निवारण को प्रोत्साहित करना और अन्य गैर-सरकारी संगठनों से उत्पादों की खरीदारी जैसी योजना हैं।

हम कैसे मदद करते हैं

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51 वर्षीय, शांता, 5 बच्चों की प्रबल मां है, जिन्होंने केवल 8वीं कक्षा तक शिक्षा पूरी की थी।10 साल की उम्र में एक बाल विवाह की चुनौतियों को पार किया। अपने परिवार से सहारा न होने के बावजूद, उन्होंने विभिन्न नौकरियों में कठिन परिश्रम किया। 2012 में हमारा सपना में शामिल होने पर, उन्होंने सिलाई, कंप्यूटर कौशल, अंग्रेजी और योग की शिक्षा ली। एक साल के भीतर, शांता को तार्देओ सेंटर में पर्यवेक्षक बनने का अवसर मिला।अपनी वित्तीय स्थिति को परिवर्तित करते हुए, काम और शिक्षा का संतुलन बनाए रखने में, उन्होंने अपनी सफलता और निरंतर सहायता के लिए हमारा सपना का धन्यवाद दिया।

शांता इलग

लाभार्थी - परियोजना हमारा सपना
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मिलिए जागृति सरवंकर से, एक विनम्र गृहिणी जो कभी बहुत शर्मीली थी। जागृति ने 2012 में हमारा सपना के साथ अपनी यात्रा शुरू की। हमारा सपना में समर्थन और प्रोत्साहन द्वारा, उन्होंने रात्रि-पाठशाला में शामिल होकर, 2022 में 12वीं कक्षा पास की। जागृति एक बहुत दृढ़ स्त्री है और वह वर्तमान में अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रही है। अपनी शिक्षा को पूरा करने का उनका संकल्प काफ़ी सुदृढ़ है एवं वह अतिरिक्त कक्षाओं में भी दाख़िला प्राप्त करने हेतु प्रयासरत हैं।

जागृति सरवंकर

लाभार्थी - परियोजना हमारा सपना
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53 वर्षीय कल्पना ने अपने पुत्र के साथ एक कठिन जीवन का सामना किया । उनके बेटे को नवजात आयु में अंधापन (हेमियानोपिया) का रोग हुआ था। सामाजिक असमानताओं और कई अस्वीकृतियों का सामना करने के बावजूद, वह अपने बच्चे के लिए एक अटल सहारा बनी रही। 2019 में, जब वह हमारा सपना का हिस्सा बनी, तो उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य के लिए आस मिली। हमारा सपना में समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के साथ बातचीत करने के मौके मिले जिसके द्वारा मां और बेटे ने अपने जीवन में कभी भी आशा ना खोने के सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाया। आज, कल्पना अपने पुत्र की प्रतिष्ठात्मक उपलब्धि पर गर्व करती है, जो एक प्रसिद्ध संगठन में वरिष्ठ उत्पाद प्रबंधक के रूप में कार्यरत है।

कल्पना

लाभार्थी - परियोजना हमारा सपना

हमारा सपना की अधिक जानकारी