वर्धा
शिक्षा-मंडल
शिक्षा मंडल की स्थापना 1914 में श्री जमनालाल बजाज और श्री कृष्णदास जाजू ने की थी जो महात्मा गांधी के एक करीबी साथी थे । इस संस्थान ने हमेशा गांधी जी के मूल्यों पर आधारित उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने का हमेशा एक उच्च उदाहरण प्रस्तुत किया है। शुरुआत से ही यह संस्था राष्ट्रवादी विचारों और विचारधाराओं से प्रेरित रही है । स्वतंत्रता आंदोलन के लगभग सभी राष्ट्रीय नेताओं, जैसे महात्मा गांधी, सरदार पटेल, और कई अन्यों ने इस विद्यालय को भेंट दी है। इसके कुछ छात्र और शिक्षकों ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग भी लिया और इसके भवनों को कुछ महीनों के लिए अंग्रेज़ी हुकूमत ने जब्त भी कर लिया था।
रजत जयंती वर्ष में, महात्मा गांधी के अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें उन्होंने भारत के लिए नए शिक्षा प्रणाली की रूपरेखा का दृष्टिकोण दिया था। यह मध्य भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, जिसमें लगभग 10,000 छात्र और 450 शिक्षक शामिल हुए।
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